काठमांडू। नए संविधान के लिए निर्धारित समय सीमा के समाप्त होने से सात माह पहले नेपाल की विपक्षी माओवादी पार्टी ने शांति समझौते से अपने को अलग कर लिया है।
माओवादियों ने कहा है कि जब तक किसी नई सरकार में उन्हें स्थान नहीं मिल जाता, तब तक वे अपनी गुरिल्ला सेना को भंग नहीं करेंगे।
माओवादी पार्टी के अध्यक्ष पुष्प कमल दहाल प्रचंड ने बुधवार को कार्यवाहक प्रधानमंत्री माधव कुमार नेपाल को साफ कह दिया कि जब तक सत्ताधारी पार्टियां उनकी पार्टी के साथ सत्ता में भागीदारी का कोई समझौता नहीं कर लेती है, तब तक 20,000 लड़ाकों वाली पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) को भंग नहीं किया जाएगा।
अभी दो महीने भी पूरे नहीं हुए हैं, जब प्रचंड ने कार्यवाहक सरकार के साथ एक नया समझौता किया था, जिसमें मध्य जून तक पीएलए के लड़ाकों के पुनर्वास की बात शामिल की गई थी। समझौते में अंतर्राष्ट्रीय पक्ष भी शामिल हैं।
इसी समझौते के आधार पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, नेपाल की शांति प्रक्रिया में शामिल अपनी राजनीतिक एजेंसी यूएन मिशन इन नेपाल (यूएनएमआईएन) का कार्यकाल अंतिम बार बढ़ाने पर सहमत हुआ था। यूएनएमआईएन, फिलहाल नेशनल आर्मी के साथ ही पीएलए के हथियारों और लड़ाकों की निगरानी कर रही है। यूएनएमआईएन 15 जनवरी, 2011 के बाद नेपाल से अपना बोरिया- बिस्तर समेट लेगी।