जयपुर। भगवान शिव के प्रति आस्था का प्रतीक रूद्राक्ष मनुष्य को इतना आकर्षित करता है कि उसे पाने के लिए वह कोई भी कीमत देने को तैयार रहता है। रूद्राक्ष के चमत्कारिक और औषधीय प्रभावों का लाभ पाने के लिए लोग इसे खरीदते हैं। अनेक शोधों से यह प्रमाणित भी हो चुका है कि रूद्राक्ष के विद्युत चुम्बकीय गुणों के कारण इसे धारण करने से अनेक लाभ होते हैं। यह कहना है रूद्रा लाइफ के प्रवर्तक तनय सीठा का। सी-स्कीम स्थित होटल पार्क प्राइम में जारी रूद्राक्ष प्रदर्शनी में सीठा ने उपस्थित लोगों को रूद्राक्ष के विभिन्न प्रकारों के साथ ही इसके उपयोग की जानकारी दी। एग्जिबिशन का मुख्य आकर्षण 1 से 21 मुखी रूद्राक्ष की स्वर्ण मंडित इन्द्रमाला है, जिसकी कीमत करीब ढ़ाई करोड़ रुपए है। सीठा के अनुसार रूद्राक्ष से मिलने वाले फायदे इसके मुखों पर निर्भर करते हैं। इसे एकल एवं अनेक बंधों में भी पहना जा सकता है। 4 मुख्री रूद्राक्ष के दो दानों तथा 6 मुखी रूद्राक्ष के एक दाने को मिलाकर बनाया गया सरस्वती बंध स्मृति बढ़ाने के साथ ही एकाग्रचित्त करता है, वहीं 3 मुखी के दो दानों तथा 5 मुखी के तीन दानों को मिलाकर बनाया गया स्वास्थय बंध रक्तचाप नियंत्रण सहित स्वास्थ्य की कई समस्याओं से मुक्ति दिलाता है। एग्जिबिशन में इस बार 27 मुखी रूद्राक्ष का यहां पहली बार प्रदर्शन किया गया है। रूद्राक्ष की विभिन्न प्रजातियों की जानकारी एवं उन्हें पहनने की विधियों की भी जानकारी दी जा रही है। तनय सीठा ने बताया कि भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में से एक नासिक के नजदीक त्रयम्बकेश्वर में देश का पहला रूद्राक्ष म्यूजियम बनने जा रहा है। इस म्यूजियम की विशेषता यहां प्रदर्शित किए जाने वाले विशेष रूद्राक्ष होंगे, जो अब तक दुलर्भ रूप में ही संकलित किए गए हैं। इनमें नेपाल के प्राचीनतम पेड़ से प्राप्त 1 मुखी रूद्राक्ष से लेकर कई मुखों के रूद्राक्ष शामिल हैं।